मखमली आवाज गुम क्या हुई ?
गज़ल अनाथ हो गई ॥
दर्द से दामन भर गया ।
दिल का चैन-ओ-सुकु ले गई ॥
होश ही उड गए सुना जग ।
उम्रभर का गम दे गई ॥
चल दिये तो जाना खोया क्या ?
पाने की चाहत अधूरी रह गई ॥
चाहो तो दोलत शौहरत ले लो ।
वो रुह-ए-पाक आवाज लोटा दो ॥
कागज़ की कश्ती बारीश का पानी ।
चंद कहानीयाँ ही रह गई ॥
शाम से आँख मे नमी सी है ।
आपकी कमी हंमेशा रहेगी ॥
फरियाद दिल मे रह जाएगी ।
आँखो से क्या बात हो पाएगी ॥