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रविवार, 22 अगस्त 2010

ये हे मोदी का गुजरात ।

ये हे मोदी का गुजरात ।
ये हे स्वर्णिम गुजरात ॥
ये हे मोदी का गुजरात ।
ये हे स्वर्णिम गुजरात ॥

यहाँ दूध की नदीयाँ बहती ।
खुशी की हरीयाली रहती ।
प्यार की लौ सदा ही जलती ।
ये हे मोदी का गुजरात ।
ये हे स्वर्णिम गुजरात ॥

रीवर फ्रंट में सेर करो तुम ।
काकरीया में लहेर करो तुम ।
बी.आर.टी.एस में शहर घूमो तुम ।
ये हे मोदी का गुजरात ।
ये हे स्वर्णिम गुजरात ॥

यहाँ की बात नीराली ।
यहाँ की रात झगमगाती ।
यहाँ की जात गुजराती ।
ये हे मोदी का गुजरात ।
ये हे स्वर्णिम गुजरात ॥


मंगलवार, 10 अगस्त 2010

मोजूदगी

तेरी गेर मोजूदगी में कमजोर होता हुं ।
तेरी मोजूदगी में कुछ और होता हुं ॥

तसव्वुर मे हलकी सी झलक देखी ।
तो परेशां में कुछ और होता हुं ॥

मस्जिद में बूत, मैयखाने में शराबी ।
साकी असल में कुछ और होता हुं ॥

मुहब्बत के हादसे नागवार गुजरे ।
जैसे इश्क में कुछ और होता हुं ॥

सखी फरमान तेरा सर आंखो पर ।
वाइज दुआ में कुछ और होता हुं ॥

१५-१२-२००६

बुधवार, 4 अगस्त 2010

मंजर

उदास रातका मंजर बदल भी सकता है ।
नए लिबास में सूरज निकल भी सकता है ।।

बर्क गीरी हे रहगुजर पे जहां देखो ।
तूटा हुआ दिल संभल भी सकता है ।।

छलकते हे जाम मस्तीभरी आंखोसे ।
ऐसे में दिल मचल भी सकता है ।।

पैमाने भरे हे मय से मयखाने खाली ।
तश्नालब मस्ती से उछल भी सकता है ।।

सुरुर इस तरह छाया हे इश्क का।
पथ्थर दिल पिघल भी सकता है ।।

१३-१२-२००६