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मंगलवार, 10 अगस्त 2010

मोजूदगी

तेरी गेर मोजूदगी में कमजोर होता हुं ।
तेरी मोजूदगी में कुछ और होता हुं ॥

तसव्वुर मे हलकी सी झलक देखी ।
तो परेशां में कुछ और होता हुं ॥

मस्जिद में बूत, मैयखाने में शराबी ।
साकी असल में कुछ और होता हुं ॥

मुहब्बत के हादसे नागवार गुजरे ।
जैसे इश्क में कुछ और होता हुं ॥

सखी फरमान तेरा सर आंखो पर ।
वाइज दुआ में कुछ और होता हुं ॥

१५-१२-२००६

1 टिप्पणी:

Poonam Agrawal ने कहा…

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