उदास रातका मंजर बदल भी सकता है ।
नए लिबास में सूरज निकल भी सकता है ।।
बर्क गीरी हे रहगुजर पे जहां देखो ।
तूटा हुआ दिल संभल भी सकता है ।।
छलकते हे जाम मस्तीभरी आंखोसे ।
ऐसे में दिल मचल भी सकता है ।।
पैमाने भरे हे मय से मयखाने खाली ।
तश्नालब मस्ती से उछल भी सकता है ।।
सुरुर इस तरह छाया हे इश्क का।
पथ्थर दिल पिघल भी सकता है ।।
१३-१२-२००६
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